छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर ने बेलतरा और सुकलकारी क्षेत्र में गायों की लगातार हो रही मौतों के मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है। न्यायालय ने इसे सुओ-मोटो जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया और राज्य प्रशासन, पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा विभाग से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने आदेश में कहा कि समाचार रिपोर्ट में वर्णित स्थिति “प्रशासनिक लापरवाही का गंभीर उदाहरण” है और इसे तत्काल राज्य प्रशासन के संज्ञान में लाना आवश्यक है। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब राज्य सरकार गौ संरक्षण की योजनाएं चला रही है, ऐसी परिस्थितियों में गायों की मौत “मानवीय संवेदनाओं पर प्रहार” है।
अदालत ने पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा विभाग के प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है और अगली सुनवाई की तारीख 27 अक्टूबर 2025 तय की है। मामले का नंबर WPPIL No. 95/2025 है।
साथ ही बिलासपुर हाईकोर्ट ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) के खेल अधिकारियों द्वारा बॉक्सिंग रिंग में शराब और नॉनवेज पार्टी मामले पर भी स्वतः संज्ञान लिया। अदालत ने इसे “खेल की गरिमा और पवित्रता के साथ किया गया गंभीर दुराचार” करार दिया।
न्यायालय ने GM-SECR तरुण प्रकाश से इस पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच कर व्यक्तिगत हलफनामा के रूप में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि शराब सेवन और अनुशासनहीनता का यह मामला “खेल संस्था की साख और प्रणाली दोनों को क्षति पहुंचाने वाला” है। अगली सुनवाई की तारीख 31 अक्टूबर 2025 रखी गई है।
इन आदेशों के माध्यम से हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि चाहे गौ संरक्षण के मामले हों या खेल स्थलों की पवित्रता, प्रशासनिक और अनुशासनात्मक जिम्मेदारियों में कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

फैक्ट – गायों की मौत मामला:
मामला: WPPIL No. 95/2025
आधार: समाचार रिपोर्ट, 23 अक्टूबर 2025
विषय: बेलतरा व सुकलकारी में गायों की मौत
प्रतिवादी: राज्य शासन, पशुपालन विभाग, पशु चिकित्सा संचालनालय, कलेक्टर बिलासपुर
अगली सुनवाई: 27 अक्टूबर 2025
फैक्ट शीट – बॉक्सिंग रिंग पार्टी मामला:
मामला: WPPIL No. 94/2025
आधार: मीडिया रिपोर्ट, 23 अक्टूबर 2025
विषय: खेल अधिकारियों द्वारा बॉक्सिंग रिंग में शराब-नॉनवेज पार्टी
प्रतिवादी: केंद्र सरकार, SECR रेलवे, स्पोर्ट्स सेल प्रमुख, कोच
अगली सुनवाई: 31 अक्टूबर 2025
हाईकोर्ट के आदेशों में विभागीय जवाब और प्रशासनिक रिपोर्ट के लिए स्पष्ट समयसीमा तय की गई है, जिससे दोनों मामलों में तत्काल और प्रभावी जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।









